भोजपुरी अभिनेता Khesari Lal Yadav और अभिनेत्री Akshara Singh का इन दिनों सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफी ज्यादा वायरल हो रहा है जी तस्वीर मेंखेसारी लाल अक्षरा सिंह के साथ अश्लील हरकतें करते हुए दिखाई दे रहे हैं जब इस तस्वीर को अच्छे से जांच पड़ताल की गई तो पता चला कि यह तस्वीर AI द्वारा बनाया गया है और इस तस्वीर को वीडियो के रूप में भी बनाकर @khesariAkshara-g3m नाम के चैनल से अपलोड किया गया है.
पूरी चैनल पर है अश्लील वीडियो
यह वीडियो जैसे ही रंग मीडिया ग्रुप (Rang Media Group) के टीम के पास आई तो वीडियो को अच्छे से जांच के लिए इस चैनल को ओपन किया गया तो देखा गया कि लगभग 200 से भी ज्यादा अश्लील वीडियो खेसारी लाल और अक्षरा सिंह के फोटो को गलत इस्तेमाल करके बनाया गया है.
डीपफेक का मकसद और प्रभाव
ऐसी छेड़छाड़ के पीछे अक्सर पैसा कमाना, बदला लेना या सस्ता मनोरंजन (Entertainment) होता है। भोजपुरी इंडस्ट्री के सितारों की लोकप्रियता का फायदा उठाकर फर्जी कंटेंट बनाया जाता है, जो वायरल होकर कलाकारों को मानसिक पीड़ा देता है। यह महिलाओं के खिलाफ साइबर बुलिंग को बढ़ावा देता है। डीपफेक का असर व्यक्तिगत जीवन से लेकर सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र तक फैलता है। 2024 के अमेरिकी चुनावों में डीपफेक से विवाद हुआ। भारत में भी ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जिससे रिश्ते टूटने और अफवाहें फैलने का खतरा है।
कानूनी और तकनीकी चुनौतियां
भारत में IT एक्ट 2000 की धारा 66E और 67 के तहत डीपफेक कंटेंट पर सजा का प्रावधान है, लेकिन लागू करना मुश्किल है। यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स के लिए AI-जनित कंटेंट को पकड़ना चुनौतीपूर्ण है। तकनीकी रूप से, डीपफेक डिटेक्शन टूल्स अभी पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं। फिर भी, सरकार और टेक कंपनियों को मिलकर सख्त नियम और बेहतर मॉडरेशन की जरूरत है।
समाधान और जागरूकता
इस खतरे से निपटने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:
- जागरूकता: लोगों को हर वीडियो या तस्वीर पर भरोसा न करने की सलाह दी जानी चाहिए। रिवर्स इमेज सर्च जैसे टूल्स मददगार हो सकते हैं।
- कानूनी ढांचा: सरकार को AI रेगुलेशन लाने चाहिए, जैसे EU का AI Act।
- तकनीकी समाधान: टेक कंपनियों को डीपफेक डिटेक्शन टूल्स विकसित करने चाहिए।
- कलाकारों की जिम्मेदारी: सेलिब्रिटीज को अपनी इमेज राइट्स की रक्षा के लिए सतर्क रहना चाहिए।