Bhagat Singh death: पाकिस्तान के लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 को भगत सिंह को 23 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों द्वारा फांसी दी गई थी, भारत के स्वतंत्रता सेनानी रह चुके भगत सिंह (Bhagat Singh) को 24 मार्च 2031 को दी जाने वाली फांसी एक दिन पहले ही 23 मार्च 1931 को दे दी गई.
महात्मा गांधी की एक गलती की वजह से भगत सिंह (Bhagat Singh) को मिली फांसी की सजा
हाल में हुए खान सर का एक पॉडकास्ट में खान सर ने बताया कि अगर महात्मा गांधी चाहते तो भगत सिंह को फांसी देने से रुकवा सकते थे, उन्होंने जानकारी दिया कि जब भगत सिंह (Bhagat Singh) को फांसी दी जानी थी तो उसे समय के जज आगा हैदर खान थे, उन्होंने कहा था कि किसी को शक के आधार पर हम फांसी नहीं दे सकते, लेकिन उसके बाद भी जो जज की टीम थी उन्होंने भगत सिंह को फांसी पर चढ़ा दिया, क्यूंकि अंग्रेज़ चाहते थे की भगत सिंह को फांसी की सजा मिले, उसके बाद उसे समय के जज आग हैदर खान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और उन्होंने लिखा है कि ऐसे अंधे कानून में मुझे जज रहने का कोई मतलब नहीं है, उस समय के वकील महात्मा गांधी थे, खान सर ने कहा कि अगर महात्मा गांधी चाहते तो भगत सिंह (Bhagat Singh) को फांसी देने से बचा सकते थे अगर वह सेकंड राउंड टेबल में अगर वे नहीं जाते तो इरविन की मजबूरी थी कि वह वीटो लगाकर फांसी माफ कर सकता था. खान सर की पूरी वीडियो आप नीचे देख सकते हैं.













